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अवैध रेत उत्खनन का अड्डा बना महानदी एवं बालका नदी

अवैध रेत उत्खनन का अड्डा बना महानदी एवं बालका नदी

नगरी 272/2023 अशोक संचेती

बिना लाइसेंस के ट्रैक्टर ड्राइवर अपनी जान जोखिम में डालकर नदी से निकालते हैं वक्त कोई घटना घटेगी तो किसकी होगी जवाबदेही

लोगों का मानना अधिकारियों के संरक्षण में हो रहा है अवैध उत्खनन क्या वास्तव में सही है

फॉरेस्ट के जंगलों के बीच से नदी जो निकली है उससे भी किया जा रहा है अवैध उत्खनन नगर फारेस्ट के अधिकारी कर्मचारियों को इसकी चिंता नहीं जबकि फारेस्ट के नियम के अनुसार अगर पकड़ में आता है तो सीधा रास्ता करने की कार्रवाई की जाती है क्या फॉरेस्ट विभाग के लोगों की मिलीभगत से निकाला जा रहा है फारेस्ट के नदियों से रेत या फिर होगी रेत चोरों के ऊपर कारवाई

नदी के पार में चढ़ाते वक्त देखने वालों की रुक जाएगी सांसे

क्या वास्तव में अवैध उत्खनन में अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है या फिर राजनीतिक से जुड़े लोगों का ऐसा नहीं तो क्यों नहीं होती अवैध उत्खनन में रोकथाम या फिर कहीं अधिकारी कर्मचारी अपने काम से जी चुराने लगे हैं क्या उनको शासन-प्रशासन का  डर नहीं

नगरी सिहावा दिन दहाड़े बिना अधिकारी के बॉर्डर के बड़े पैमाने पर ट्रैक्टरों के माध्यम से अवैध रेत परिवहन किया जा रहा है लगातार समाचार पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन के बाद भी कोई अधिकारी हरकत में नहीं आ रहे है जबकि ग्राम वासियों द्वारा कई बार शासन शासन प्रशासन को कई बार शिकायत कर चुके हैं ना ही सत्ता पक्ष इस विषय पर कुछ करता है और ना ही कुछ कार्यवाही होती है अवैध  उत्खनन का सबसे अच्छा जगह बन गया बालका नदी जहां पर सुबह से ही  कई ट्रिप ट्रैक्टर से रोज अवैध रेत का अवैध उत्खनन होता है ताजा मामला अभी घटुला में ट्रैक्टरों द्वारा रेत का अवैध उत्खनन किया जाता है ऐसे में सीधा-सीधा कयास लगाया जा रहा है कि कि सत्तापक्ष की मिलीभगत तो नहीं है आगामी कुछ महीनों बाद होने वाले चुनाव के लिए फंडिंग की व्यवस्था सुबह से लेकर शाम तक मुख्य मार्गों में रेत से भरी हुई ट्रैक्टर धड़ल्ले से दौड़ती नजर आती है फिर सामने से कोई बड़ा अधिकारी गुजर है या फिर क्षेत्र के कोई भी जनप्रतिनिधि कोई मतलब नहीं जिससे नदी में केवल मिट्टी ही शेष रह जाएगी और रेत नामोनिशान ना बचेग आखिर ऐसी क्या मजबूरी आन पड़ी होगी कि संबंधित अधिकारी कर्मचारी कार्रवाई करने पर डरते हैं कहीं ऐसा तो नहीं कि अवैध रेत का परिवहन करने वाले व्यक्तियों के पीछे राजनीतिक व्यक्तियों का संरक्षण या फिर विभाग के अधिकारी कर्मचारियों का संरक्षण  या फिर सीधा-सीधा चुनौती तो नहीं दे रहे हैं ट्रैक्टर मालिक इन अधिकारी कर्मचारी और जनप्रतिनिधि और सरकार को जबकि सरकार में बैठे लोग का सख्त निर्देश की रेत का अवैध उत्खनन कोई भी नदी से नहीं होना चाहिए पर्यावरण विभाग के ऊपर भी उठता है प्रश्नचिन्ह कुछ लोगों का मानना है कि क्या बात ब्लॉक में नदियों का आवंटन नहीं किया जाना पर्यावरण के कारण
2 दिन पहले लखन लाल नाग निवासी द्वारा अवैध रेत उत्खनन के संबंध में एसडीएम को ज्ञापन दिया था जिसमें अवैध उत्खनन की शिकायत की गई थी रेत के परिवहन पर रोक लगाने की मांग की गई थी जिससे नदी का कटाव के रेत का संरक्षण हो सके किंतु अब तक उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है
अवैध उत्खनन करने वालों द्वारा बिना कोई डर के रात दिन अवैध परिवहन ट्रैक्टरों के माध्यम से किया जाता है ग्रामीणों द्वारा कई बार आपत्ति की जा चुकी है अधिकारी कार्रवाई क्यों नहीं करते क्या इसके पीछे राजनीतिक हस्तियों का हाथ स्पष्ट तो नहीं है जिस तरह से अवैध रेत का उत्खनन हो रहा है ऐसे हाल में गांव में गरीब लोग घर नहीं बना पाएंगे क्योंकि जहाँ भी रेत निकालना संभव होता है माफिया वहां से रेत निकाल कर महंगे भाव मे बेच रहे हैं इसके लिए कई बार शिकायत किंतु अवैध उत्खनन करने वालों द्वारा धमकी दिए जाता है और कहा जाता है कि जो करना है कर लो बिना कोई डर के अवैध रेत खनन की जाती है आज जिस तरह अवैध उत्खनन का शिकार हो चुका है महानदी जहां कर्णेश्वर  एनीकट  से लेकर सिहावा में रेत देखना मुश्किल हो जाता है क्या उसी तरह बालका नदी में भी यही  स्थिति ना आ जाए

ट्रैक्टर जो कि किसानी के लिए ली गई है वह केवल अवैध रेत खनन का काम ही करते हैं माफियाओं को प्रशासन की कार्यवाही से कोई डर नहीं है क्या उसके पीछे शासन का संरक्षण प्राप्त होना दर्शाता है इसके पहले भी एक बात सामने आई थी स्पष्ट रूप से एक व्यक्ति यह कहते दिखा कि घटुला निवासी द्वारा ट्रिप के पीछे में पैसे लेने की बात कही गई थी जिस की भी जांच शायद कोई अधिकारी करना  उचित नहीं समझते हैं

सबसे बड़ी बात कोई भी सरकारी काम बिल्डिंग निर्माण या कोई भी निर्माण कार्य की लागत राशि उसी हिसाब से बनाई जाती है की रेत की खदान उस क्षेत्र में नहीं है रेत बाहर से लाना पड़ेगा मगर अधिकारी कर्मचारियों से सेटिंग करें ठेकेदार और रेत के अवैध उत्खनन करने वाले अपने उस कार्य में लाखों की लागत बचा लेते हैं

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