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आदिवासी महिलाओं ने उठाया विद्यालय एवम शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने का बीड़ा

आदिवासी महिलाओं ने उठाया विद्यालय एवम शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने का बीड़ा

अशोक संचेती नगरी 26/5/2022

जी हां यह कहानी है आदिवासी विकासखण्ड नगरी के सुदूर अंचल बोराई संकुल में स्थित प्राथमिक शाला बुडरा की। 82 कच्चे पक्के मकान में रहने वाले 411 की जनसंख्या वाले इस गांव ने शिक्षा के क्षेत्र में एक नया इतिहास लिखने का संकल्प ले लिया है। 21 अप्रैल एवम 29 अप्रैल 2022 को डाइट के प्राचार्य,व्ही. पी.चन्द्रा,संकाय सदस्य के.एस. ध्रुव एवम जोहन नेताम ने संयुक्त रूप से इस विद्यालय की मॉनिटरिंग कर बच्चों के सीखने सिखाने का अध्ययन किया था। इसी दौरान इन्होंने पालकों से ” विद्यालय एवम बच्चों के विकास में पालकों की भूमिका” पर लम्बी बातचीत की थी। इस बातचीत में गांव के महिला पुरुष उपस्थित थे। विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से बातचीत का ऐसा असर हुआ कि पालकों ने वहीं संकल्प लिया कि वे अपने विद्यालय को न केवल बेहतर बनाएंगे अपितु वे बच्चों को भी बेहतर शिक्षा देने में जिम्मेदारी निभाएंगे।

 

इस हेतु वहां के सक्रिय पुरुष तथा महिलाओं ने मोर्चा संभाला। सर्वप्रथम इन्होंने ग्रीष्म कालीन विद्यालय संचालन का संकल्प लिया। इसकी जिम्मेदारी ली 62 वर्षीय राजाराम नेताम ने। इन्होंने विद्यालय का नियमित संचालन किया। इनके समर्पण को देखकर कन्हैया नेताम,नर्सिका नेताम,रीना नेताम,शिव मंडावी ने भी प्रतिदिन विद्यालय में उपस्थिति दी। पालकों की सीधी भागीदारी से आज बच्चों का स्तर बढ़ गया है। इधर राधिका नेताम,नीराबाई,कुमारी सलाम, सुलोचना सलाम, उत्तरा नेताम ने गांव में घूम घूमकर लोगों को रात्रि में मीटिंग के लिए आमंत्रित किया। इनके उत्साह को देखकर विजय नेताम,शिव यादव,कन्हैया नेताम ने भी इनका साथ दिया। रात में मीटिंग हुई। महिलाओं के नेतृत्व में आयोजित मीटिंग में तय हुआ कि सबसे पहले विद्यालय को आकर्षक बनाने हेतु चार दीवारी का निर्माण जरूरी है। इसके लिए गांव के सभी के सहयोग से ईंट निर्माण का प्रस्ताव रखा गया जिसे एक मतेन स्वीकार किया गया। पूरे गांव को आठ समूह में बांटकर 2-2 समूह को 2 दिवस तक ईंट बनाने की जिम्मेदारी दी गई। इसमें महिला पुरुष दोनों को शामिल किया गया। हर समूह के लिए एक मुखिया तय किया गया।22 मई से आज तक ईंट बनाने का काम अनवरत जारी है। इस हेतु पालकों ने ट्रैक्टर का इंतजाम कर रेत की व्यवस्था की। राधिका नेताम ने ईंट बनाने के लिए अपने जमीन की मिट्टी दी । आज लगभग 10 हजार ईंट का निर्माण इन आदिवासी पालकों के द्वारा कर लिया गया है। यह कार्य अभी जारी है। इन लोगों ने यह भी संकल्प लिया है कि पूरे वर्ष भर विद्यालय में शैक्षिकेत्तर गतिविधियों के लिए राशि की व्यवस्था भी करेंगे। इसके अतिरिक्त बच्चों के लिये शिक्षण अधिगम सामग्री की व्यवस्था भी करेंगे। इस तरह से बुडरा के पूरे पालकों में एक उत्साह का माहौल है। बुडरा के समीप गांव कारीपानी के पालकों से भी डाइट के संकाय सदस्यों ने बातचीत कर बुडरा के पालकों के प्रयास की सराहना की। बुडरा के पालकों का विद्यालय के प्रति लगन एवम समर्पण को देखकर इनके कार्यों से प्रभावित होकर कारीपानी के लोगों ने बुडरा की शैक्षिक गतिविधि एवम ईंट निर्माण की प्रक्रिया को समझने हेतु बुडरा के लोगों से मेल मुलाकात की। आज कारीपानी से कुमारी नेताम,सगाबाई सामरथ, सुकमन नेताम, देवेंद्र सामरथ, रत्ताराम मंडावी, गीतेश यादव, द्वारिका प्रसाद एवम वार्ड पंच ओमप्रकाश नेताम ने डाइट प्राचार्य डॉ व्ही. पी. चन्द्रा,संकाय सदस्य कंजन सिंह ध्रुव एवम जोहन नेताम एवम बोराई की सरपंच श्रीमती किरणदेवी भोयर की उपस्थिति में बुडरा के लोगों से बातचीत कर कारीपानी विद्यालय हेतु ईंट बनाने का संकल्प लिया। आने वाले दिनों में यहाँ के पालक भी रचनात्मक कार्य करेंगे। आज डाइट की ओर से विद्यालय हेतु ईंट निर्माण में लगी हुई माताओं का फील्ड में सम्मान किया गया जिससे पालकों में दुगुने उत्साह का संचार हुआ है। आने वाले दिन में बुडरा का प्राथमिक विद्यालय प्रेरक विद्यालय के रूप में निश्चित रूप से स्थापित हो

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